THE GLORIOUS MANTRA-TANTRA-YANTRA VIGYAN OF INDIA FROM SADGURUDEV SHRIMALIJI (PARAMHANS SWAMI NIKHILESHWARANANDJI)

A TRIBUTE TO THE MOST REVERED MASTER FROM THE DIVINE LAND OF SIDDHASHRAM (GYANGUNJ) WHO MAKES GODS AND GODDESSES APPEAR BEFORE US

Thursday, January 21, 2016

DHUMAVATI MALA MANTRA


Dhumavati mala mantra gives the benefit of 100 times chant of Baglamukhi stotra ,when chanted just once 

This mala mantra when chanted 11 times daily after taking sankalp,during Navratri ,keeping Dhumavati kriya shakti bahu in front of you will completely solve all the problems due to enemies.

















ॐ प्रातर्षा स्यात् कुमारी कुसुम-कलिकया जप-मालां जपन्ती
मध्याह्ने प्रौढ़-रूपा विकसित-वदना चारू-नैत्रा निशायाम्  १ 

सन्ध्यायां वृद्धा-रूपा गलित-कुच-युगा मुण्ड-मालां वहन्ती 
सा देवी देव-देवी त्रिभुजन-जननी चण्डिका पातु युष्मान्   

बद्ध्वा खट्वांग कोटी कपिल वर जटा मण्डलं पद्म योने: 
कृत्वा दैत्योत्तमागै: स्त्रजमुरसि शिर: शेखरं तार्क्ष्य पक्षै:  

पूर्ण रक्तै: सुराणां यम महिष-महा-श्रृगमादाय पाणौ 
पायाद वौ वन्द्य मानः प्रलय मुदितया भैरव: काल रात्र्या  

चर्वन्ती ग्रन्थि खण्डं प्रकट कट कटा शब्द सघतमुग्रम 
कुर्वाणा प्रेत मध्ये ककह कह कहा हास्यमुग्रं कृशागी  

नित्यं नृत्य प्रमत्ता डमरू डिम डिमानक् स्फारयन्ती मुखाब्जम् 
पायान्नश्चण्डिकेयं झझम झम झमा जल्पमाना भ्रमन्ती ६ 

टण्टट् टण्टट् टण्टटा प्रकट मट मटा नाद घण्टां वहन्ती 
स्फ्रें स्फ्रेंखार कारा टक टकित हसा दन्त सघट्ट भीमा  

लोलं मुण्डाग्र माला ललह लह लहा लोल लोलोग्र रावम्
चर्वनिती चण्ड मुण्डं मट मट मटितं चर्वयन्ती पुनातु ८ 

वामे कर्णे मृगाक प्रलया परिगतं दक्षिणे सूर्य विम्बं 
कंण्डे नक्षत्र हारं वर विकट जटा जुटके मुण्डे मालम् ९ 

संहारे धारयन्ती मम हरतु भयं भद्रदा भद्र काली 
तैलोभ्यक्तैक वेणी त्रपु मय विलसत् कर्णिकाक्रान्त कर्णा १० 

लोहेनैकेन कृत्वा चरण नलिन कामात्मनः पाद शोभाम् 
दिग् वासा रासभेन ग्रसति जगदिदं या जवा कर्ण पुरा ११ 

वर्षिण्यूर्ध्व प्रवृद्धा ध्वज वितत भुजा साऽसि देवी त्वमेव 
संग्रामे हेति कृत्तै: स रुधिर दशनैर्यद् भटानां शिरोभी १२ 

र्मालमाबध्य मूर्धिन ध्वज वितत भुजा त्वं श्मशाने प्रविष्टा 
दृष्ट्वा भूतै: प्रभूतै: पृथु जघन घन बद्ध नागेन्द्र काशी १३ 

शूलाग्र व्यग्र हस्ता मधु रुधिर मदा ताभ्र नेत्रा निशायाम् 
दंष्ट्रा रौद्रे मुखेऽस्मिस्तव विशति जगद् देवि १४ 

सर्व क्षणार्द्धात् संसारस्यान्त काले नर रुधिर वसा 
सम्प्लवे धूम धूम्रे काली कापालिकी त्वं शव शयन १५ 

रता योगिनी योग मुद्रा रक्ता ऋद्धि कुमारी 
मरण भय हरा त्वं शिवा चण्ड घण्टा १६ 

ॐ धूमावत्यष्टकं पुण्यं , सर्वापद् विनिवारकम् 
यः पठेत् साधको भक्तया , सिद्धि विन्दति वांछिताम् १७ 

महाऽऽपदि महा घोरे महा रोगे महा रणे 
शत्रुच्चाटे मारणादौ , जन्तूनां मोहने तथा १८ 

पठेत् स्तोत्रमिदं देवि ! सर्वत्र सिद्धि भाग् भवेत् 
देव दानव गन्धर्व यक्ष राक्षस पन्नगा: १९ 

सिंह व्याघ्रादिका: सर्वे स्तोत्र स्मरण: मात्रत:
दूराद दूर तरं यान्ति किं पुनर्मानुषादय:  २० 

स्तोत्रेणाने देवेशि ! किं न सिद्धयति भू तले 
सर्व शान्तिर्भवेद् देवि चान्ते निर्वाणतां व्रजेत्  २१ 


5 comments :

Ashutosh Jani said...

This is Maa Dhumavati Ashtak Stotra. This is not Maa Dhumavati Mala Mantra

JAIJITH BALAGOPALAN NAIR said...

No I disagree with your comment

Unknown said...



hi, kindly find link attached which shows that the above mantra is Maa Dhumavati ashtak

http://mysiddhashram.blogspot.in/2011/10/mahavidya-dhumavati-ashtak-stotra.html




The Maa Dhumavati Maala Mantra is a part of the Rudryamal Tantra and is quite different.

Jay Maa

JAIJITH BALAGOPALAN NAIR said...

Dear Ashutosh,
I know very well about what I am posting in my blog.

This is taken from Parampoojya Kailash Guruji's patrika PMYV - May 2014
Please refer page number 18/19
It is clearly mentioned in the heading/title as DHUMAVATI MALA MANTRA

If you want to argue with me you have to quote from Parampoojya Gurudev.
I dont refer other blogs or websites for my posts


Unknown said...

May i know from you people, what classifies into a mala mantra or a stotra ?