महाभैरव यंत्र ,महाभैरव गुटिका ,काली हकीक
माला।
इन तीनों सामग्रियों का
प्रयोग इस साधना में किया
जाता
हैं।
स्नान आदि से
निवृत्त होकर ,साफ़
स्वच्छ काले वस्त्र पहिन कर
साधना में प्रवृत हों ,गुरु
पीताम्बर अवश्य ओढ़ें
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पश्चिम दिशा
की
और
मुख
करके
बैठें
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अपने सामने किसी
प्लेट में काले
तिल
की
एक
ढेरी
निर्मित करें ,और
उस
पर
महाभैरव यन्त्र स्थापित करें
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काले रंग में
रंगे
हुए
अक्षत एवं काली
सरसों चढ़ाकर यन्त्र और
गुटिका का पूजन
करें
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गुड से बने
नैवेद्य का भोग
लगायें
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पूजन करने के
पश्चात महाभैरव मंत्र का काली
हकीक
माला
से
51 माला मंत्र जप
संपन्न करें ,भैरव
यन्त्र की और
अपलक
देखते हुए इस
मंत्र जप को
करना
हैं
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मंत्र
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ॐ भ्रं भैरवाय नमः
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मंत्र जप
समाप्ति के पश्चात महाभैरव से
अपनी
जिस
इच्छा को ,
जिस
कामना को लेकर
आपने
साधना संपन्न की
हे
,उसे पूर्ण करने
के
लिए
पुनः
प्राथना करें
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जिस दिन आप
इस
साधना को संपन्न करें,उस
के
ठीक
तीसरे
दिन गुटिका ,यन्त्र व
माला
को
किसी
काले
वस्त्र में बांधकर किसी
नदी
या
सरोवर में विसर्जित कर दें
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यह साधना किसी
भी
शनिवार के दिन
अथवा
किसी
भी
मॉस
की
कृष्ण पक्ष में
पड़ने
वाली
अष्ट्मी के दिन
रात्रि 9 बजे से
सुबह
3 बजे
के बीच
में
संपन्न की जाती
हैं।
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THE GLORIOUS MANTRA-TANTRA-YANTRA VIGYAN OF INDIA FROM SADGURUDEV SHRIMALIJI (PARAMHANS SWAMI NIKHILESHWARANANDJI)
A TRIBUTE TO THE MOST REVERED MASTER FROM THE DIVINE LAND OF SIDDHASHRAM (GYANGUNJ) WHO MAKES GODS AND GODDESSES APPEAR BEFORE US
Wednesday, September 23, 2015
MAHABHAIRAV SADHANA
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