THE GLORIOUS MANTRA-TANTRA-YANTRA VIGYAN OF INDIA FROM SADGURUDEV SHRIMALIJI (PARAMHANS SWAMI NIKHILESHWARANANDJI)

A TRIBUTE TO THE MOST REVERED MASTER FROM THE DIVINE LAND OF SIDDHASHRAM (GYANGUNJ) WHO MAKES GODS AND GODDESSES APPEAR BEFORE US

Saturday, August 1, 2015

GURU MANTRA KI MAHATTHA

गुरु मंत्र 
ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः 




प - पराकाष्टा - भौतिक और आध्यात्मिक 
र - अग्नि तत्त्व - सारा ब्रह्माण्ड का ज्ञान 
म - माधुर्य - आत्मिक शांति 
त - तत्वमसि - असीमित शक्ति 
वा - वायु - पांच प्रकार ,क्रिया योग में पारंगत 
य - यम - यम पर पूर्णे विजय ,आकर्षक व्यक्तित्व 
ना - नाद - दिव्य संगीत 
रा - रास - दिव्य उत्सव ,पूर्ण कुण्डलिनी जागरण 
य - यथार्थ , परम सत्य 
ण - अणु या ब्रह्म - अष्ट सिद्धि 
य - यज्ञ शास्त्र में पारंगत 
गु - गुंजरन  - गुरु का बीज मंत्र 
रु - रूद्र - कभी वृद्ध नहीं होता ,सर्वव्यापी ,सर्वज्ञाता और सर्वशक्तिशाली 
यो - योनि - फिर जन्म नहीं लेना पड़ता ,शिव की शक्ति 
न - नवीनता - एक नयापन ,हर क्षण नया व्यक्तित्व 
म - मातृत्व - असीमित ममता 

                                                                                 जय गुरुदेव 

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